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मुंबई, बीते दिनों दहेज को लेकर राजस्थान के बूंदी जिले से एक सुखद खबर सामने आई थी। वहां के पीपरवाला गांव में रहनेवाले सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य ने अपने बेटे की सगाई में मिले ११ लाख रुपए लड़की के पिता को वापस लौटा दिए। लोग इसे एक नजीर की तरह देख रहे हैं लेकिन देश के बाकी हिस्सों की हकीकत इससे एकदम अलग है। अग्नि के सात फेरे लेकर पति के घर खुशियां बिखेरने का सपना संजोनेवाली विवाहिताओं पर दहेज का दंश भारी पड़ रहा है। दहेज में नकदी व अन्य सामान कम मिलने पर ससुरालवाले उनका उत्पीड़न करते हैं। कई बार उन्हें मार दिया जाता है या फिर खुदकुशी करने को मजबूर किया जाता है। कई दुल्हनों को गला घोंटकर, जलाकर या जहर देकर मार दिया जाता है।
संभाजी नगर के करमाड तालुका से एक झकझोरने वाली खबर सामने आई है। यहां के लाडगांव में एक बेबस बाप अपनी ४ बड़ी बेटियों का विवाह ठाट-बाट से करने के लिए परेशान था। उक्त बाप की बेबसी उसकी पांचवीं बेटी सह नहीं पाई और उसने खुदकुशी कर ली ताकि बाप उसके विवाह की परेशानी से बच जाए। इसी तरह गुजरात के अमदाबाद के वटवा इलाके में रहनेवाली आयशा मकरानी ने साबरमती नदी में छलांग लगाकर दुनिया को अलविदा कह दिया। आयशा ने मरने से पहले एक वीडियो बनाया था, जिसमें उसने अपने मां-बाप से मरने के लिए इजाजत मांगी थी। आयशा ने पति और ससुरालवालों पर दहेज प्रताड़ना का आरोप लगाया था। एक अनुमान के अनुसार हमारे देश में हर महीने ऐसे करीब दो दर्जन मामले दर्ज होते हैं। इनमें कई मामले तो गर्भवती महिलाओं के भी होते हैं। बीते ३ से ४ महीनों में देश में ऐसे ही करीब दो दर्जन मामलों में दोषी पति व अन्य ससुराली रिश्तेदारों को कोर्ट नें सात साल से लेकर उम्रवैâद और फांसी तक की सजा सुनाई है। इसके बावजूद दहेज के दानव का अंत नहीं हो रहा है। फिर भी अदालतों द्वारा दहेज लोभियों के खिलाफ बरती जानेवाली सख्ती एक शुभ संकेत है।
यूपी के बहराइच जिले के रामगांव थानाक्षेत्र के ग्राम किशुनपुर मीठा के सहजाराम यादव ने वर्ष २०१० में अपनी बहन संगीता की शादी खैरीघाट थान क्षेत्र के ग्राम पिपरिया के रंगीलाल यादव से की थी। संगीता की २० फरवरी, २०१४ को गला दबाकर हत्या कर दी गई थी। सहजराम की तहरीर पर रंगीलाल, पैकरमा, लज्जावती व राधेलाल पर दहेज हत्या समेत विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था। मामला कोर्ट में पहुंचा। अपर सत्र न्यायाधीश नितिन पांडेय ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट, पुलिस के साक्ष्यों के आधार पर आरोपित पति रंगीलाल को दो धाराओं में तीन, सात साल व गर्भवती की हत्या में उम्रवैâद का दोषी मानते हुए उम्रवैâद की सजा सुनाई है। अन्य तीन लोगों को सात वर्ष की सजा का आदेश दिया गया है। इन पर १२-१२ हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया गया है। इसी तरह मऊ जिले के सूर्यप्रकाश नामक शख्स ने २६ सितंबर, २०१७ को पत्नी ममता को रस्सी से गला घोंटकर मार डाला था। वर्ष २०१६ में हुई शादी के बाद से सूर्यप्रकाश अपनी पत्नी ममता को मायके से और रुपया लाने के लिए प्रताड़ित करता था। कोर्ट ने सूर्यप्रकाश को हत्या के आरोप में उक्त सजा सुनाई। दहेज के लिए हत्या का ऐसा ही एक मामला वर्ष २०१८ के जून महीने में यूपी के हरदोई जिले में सामने आया था। हरदोई के सुरसा थाना क्षेत्र स्थित म्योनी निवासी मंजू की शादी बेहटा गोकुल थाना क्षेत्र के टोडरपुर निवासी आशू उर्फ आशाराम के साथ ७ मई २०१७ को हुई थी, लेकिन पति और ससुरालवाले दान दहेज से संतुष्ट नहीं थे। ये लोग दहेज में प्रिâज, टीवी व सोने की जंजीर की मांग को लेकर मंजू को प्रताड़ित करते थे। ८ जून २०१८ को पति आशू ने मंजू की गला दबाकर हत्या कर दी। घटना के समय मंजू को छह माह का गर्भ भी था। अदालत ने आरोपी को गर्भवती पत्नी की हत्या का दोषी करार देते हुए सजा सुनाई।
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Rokthok Lekhani